Yahoo Jagran – पराशक्ति से असीम क्षमतावान हो सकता है मानव
मुंगेर। प्रभातरंजन सरकार उर्फ आनंदमूर्ति के जन्मोत्सव पर पोलो मैदान में दो दिवसीय विराट धर्म महासम्मेलन शुरू हो रहा है। आनंद मार्ग के प्रवर्तक आनंदमूर्ति का सर्वकालिक सामाजिक-आर्थिक ‘प्रउत’दर्शन आज अधिक प्रासंगिक हो गया है। सामान्य, पब्लिक, कोआपरेटिव व साइको इकोनॉमी में से अंतिम दर्शन को अपनाये बिना विश्व से आर्थिक मंदी खत्म होना नामुमकिन है। आनंद मार्ग के वरीय अवधूत रूद्रानंद ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में उक्त गूढ़ तथ्यों की जानकारी देते हुए बताया कि पराशक्ति से मानव अवतार पुरूष सदाशिव एवं श्रीकृष्ण की तरह असीम क्षमतावान हो सकता है।
वैशाख पूर्णिमा 1921 ई. को जमालपुर में जन्मे गुरुदेव आनंदमूर्ति ने 1955 में इस संस्था की स्थापना की थी। यूएनओ तथा एनजीओ से मान्यता प्राप्त आनंद मार्ग की छोटी-बड़ी शाखाएं 182 देशों में हैं। एक करोड़ से अधिक अनुयायी तथा 1700 के आसपास सन्यासी गुरुदेव के बताये साधना-पद्धति को अपना कर आत्मसंतुष्टि महसूस कर रहे हैं। अवधूत रूद्रानंद ने प्रेस वार्ता में यह जानकारी देते हुए कहा कि एक समय आएगा कि विश्व की सबसे बड़ी सम्पर्क भाषा संस्कृत होगी। उन्होंने भाषा को छह स्तरों का बताते हुए कहा कि विश्व की आर्थिक मंदी काला धन के बेनकाब होने से दूर होगी। इसका एक मात्र उपाय सभी देश अपनी करेंसी बदल डालें। फिर स्विस बैंक सहित सभी देश के लोगों का काला धन स्वत: ही बाहर आ जाएगा। शनिवार से पोलो मैदान में धर्म महासम्मेलन के कार्यक्रम प्रात: पांच बजे से रात्रि 10 बजे तक चलेंगे।
Source – http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5328360.html
मुंगेर। प्रभातरंजन सरकार उर्फ आनंदमूर्ति के जन्मोत्सव पर पोलो मैदान में दो दिवसीय विराट धर्म महासम्मेलन शुरू हो रहा है। आनंद मार्ग के प्रवर्तक आनंदमूर्ति का सर्वकालिक सामाजिक-आर्थिक ‘प्रउत’दर्शन आज अधिक प्रासंगिक हो गया है। सामान्य, पब्लिक, कोआपरेटिव व साइको इकोनॉमी में से अंतिम दर्शन को अपनाये बिना विश्व से आर्थिक मंदी खत्म होना नामुमकिन है। आनंद मार्ग के वरीय अवधूत रूद्रानंद ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में उक्त गूढ़ तथ्यों की जानकारी देते हुए बताया कि पराशक्ति से मानव अवतार पुरूष सदाशिव एवं श्रीकृष्ण की तरह असीम क्षमतावान हो सकता है।
वैशाख पूर्णिमा 1921 ई. को जमालपुर में जन्मे गुरुदेव आनंदमूर्ति ने 1955 में इस संस्था की स्थापना की थी। यूएनओ तथा एनजीओ से मान्यता प्राप्त आनंद मार्ग की छोटी-बड़ी शाखाएं 182 देशों में हैं। एक करोड़ से अधिक अनुयायी तथा 1700 के आसपास सन्यासी गुरुदेव के बताये साधना-पद्धति को अपना कर आत्मसंतुष्टि महसूस कर रहे हैं। अवधूत रूद्रानंद ने प्रेस वार्ता में यह जानकारी देते हुए कहा कि एक समय आएगा कि विश्व की सबसे बड़ी सम्पर्क भाषा संस्कृत होगी। उन्होंने भाषा को छह स्तरों का बताते हुए कहा कि विश्व की आर्थिक मंदी काला धन के बेनकाब होने से दूर होगी। इसका एक मात्र उपाय सभी देश अपनी करेंसी बदल डालें। फिर स्विस बैंक सहित सभी देश के लोगों का काला धन स्वत: ही बाहर आ जाएगा। शनिवार से पोलो मैदान में धर्म महासम्मेलन के कार्यक्रम प्रात: पांच बजे से रात्रि 10 बजे तक चलेंगे।
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